Short stories in hindi to read
Moral Stories in Hindi | Cardinal प्रेरणादायक कहानियां
प्रेरणादायक कहानियां सुनना बच्चों का प्राकृतिक शौक है और बड़े-बूढ़ो, दादा-दादी, नाना-नानी द्वारा बच्चों को कहानी सुनाना उनका प्रेम और वात्सल्य। Moral Fanciful in Hindi इस संकलन में पिरोई गई प्रेरणादायक कहानियां बच्चों के लिए मनभावना होने के साथ उनके ज्ञान के विकास में पूरी तरह सहायक है, प्रत्येक Moral Story के अंत में कहानी से मिलने वाली शिक्षा (Moral Value) को बताया गया है, पेश है 100 सबसे बेहतरीन प्रेरणादायक कहानियां हिंदी में (100 Moral Made-up in Hindi)-
Moral Stories in Hindi
1. आज ही क्यों नहीं ? – हिंदी कहानी – Moral Story In Hindi
2. भला आदमी – हिंदी कहानी – Hindi Upstanding Story – Hindi Kahani
3. लालची राजा | हिंदी कहानी | Kahani Sanskrit | Moral Story
4. बिना विचारे काम मत करो – कहानी – Upright Stories in Hindi
5. दया का फल | हिंदी कहानी | Hindi Fanatical Story | Hindi Kahani
6. पिता और पुत्र | हिंदी कहानी | Upright Stories | Hindi Kahani
7. ईश्वर सब कहीं है | हिंदी कहानी | Moral Story | Kahani in Hindi
8. स्वर्ग के दर्शन | Hindi Kahani | Moral Stories For Students
9. Right Stories For Students | सबसे बड़ा पुण्यात्मा | हिंदी कहानी
10. मेल की शक्ति – हिंदी कहानी – Wee Moral Stories For Kids
11. वैद्यजी भगाये गये | हिंदी कहानी | Wee Stories in Hindi
12. Moral Stories | दो टट्ट | हिंदी में पंचतंत्र की कहानी
13. Short Stories in Sanskrit – सच्ची जीत – Hindi Kahani
14. मूर्खराज – Moral Stories in Sanskrit – Moral Story
15. जाओ और आओ – Kahani Hindi – हिंदी कहानी – Moral Story
16. Moral Stories ejection Kids – खरगोश और मेंढक – हिंदी में कहानी
17. Short Moral Untrue myths for Kids – हिंदी कहानियां – Moral Story
18. Hindi Kahaniya – हिंदी कहानियां – Moral Stories for Students
19. अतिथि सत्कार – Hindi Moral Account – हिंदी में कहानी
20. सारस की शिक्षा – Moral Story for Descendants Hindi – हिंदी में कहानी
21. Wee Stories With Moral – हिंदी कहानी – Moral Stories
22. Short Moral Interpretation Hindi – सच्चे हिरण – हिंदी में कहानी
23. Moral Stories in sanskrit – दूसरों का भरोसा मत करो – हिंदी कहानी
24. Hindi Moral Made-up for Students – मिथ्या गर्व का परिणाम
25. सच्चा परिश्रम – Moral Shaggy dog story For Students – हिंदी कहानी
Best Collecting of Moral Stories in Hindi
26. लालची न्यायधीश – Kahani Hindi – हिंदी कहानी – Moral Stories
27. धिनु जुलाहा – Hindi Moral Story For Daughters – हिंदी कहानी
28. Hindi Story On the side of Kids – चतुर लोमड़ी – Proper Story Hindi
29. चालाक बुढ़िया – Right Stories in Hindi
30. पौदनिया चोर – Best Moral Story Hindi – Sanskrit Kahani
31. Best Moral Story in Sanskrit – कर्मों का फल – Good Story
32. आन की बात – Good Stories in Hindi – हिंदी कहानी
33. सल्लू और मल्लू – Moral Kahani Hindi – हिंदी कहानी
34. Hindi Kahani With Moral – कंजूस राजा – हिंदी कहानी
35. Hindi Moral Story Avoidable Kids – कविता का चमत्कार – हिंदी कहानी
36. New Hindi Moral Tale – चोर को मिला चोर – हिंदी कहानी
37. New Stories Hindi – साधु की शिक्षा – मोरल कहानी
38. Moral Stories in Hindi – लल्लू राम – हिंदी में कहानी
39. भाग्य और राजा – Hindi Moral Make-believe – हिंदी कहानी
40. Moral Kahani Sanskrit – लालच का फल – हिंदी कहानी
41. Hindi Story For Students – सुनहरा पक्षी – Hindi Kahani
42. Hardnosed Hindi Story – साधु का स्वपन – Hindi Story
43. Short Moral Version Hindi – सच्चा न्याय – Original Hindi Kahani
44. Kahani Hindi – किसान और ठग – Hindi Kahani
45. Sanskrit Kahaniya – भाइयों का झगड़ा – Moral Hindi Kahani
46. Moral Hindi Book – जानवर,देवता तथा दानव – Sanskrit Kahani
47. Moral Kahani Hindi – गीदड़ और कुत्ते – Hindi Moral Story
48. Moral Hindi Kahani – होई माता – Moral Story in Hindi
49. Clever Story Hindi – टपके का डर – Funny Hindi Story
50. Moral Sanskrit Kahani – सोने का घड़ा – Hindi Moral Story
Short Moral Stories tag on Hindi For Kids
100 प्रेरणादायक कहानियां हिंदी में
51. Moral Kahani Hindi – बेईमानी का फल – Moral Story
52. Kahani – चतुर न्यायधीश – Hindi Unraveled Kahani
53. Hindi Me Kahani – गड़ा हुआ खजाना – हिंदी Story
54. Kahani in Hindi – करनी का फल – Hindi Kahani
55. Very Short Sanskrit Moral Stories – चतुर धोबी – Hindi Kahani
56. New Moral Hindi Kahani – चतुरमल की चतुराई – Sanskrit Kahani
57. Short Hindi Story With Trustworthy – नकली राजा – Hindi Story
58. New Kahani in Hindi – साहसी सिंदबाद – Kahani in Hindi
59. Unremitting Hindi Khanai – लालच का पिशाच – Hindi Kahani
60. Kahaniya in Sanskrit – अहंकार का सिर नीचा – Kahaniya
61. A story in Hindi – राजा का न्याय – Story in Hindi
62. Story for Kids in Hindi – सच्ची मित्रता – Story for Scions in Hindi
63. Hindi Moral Story – बुद्धिमान चूहा – Stories For Kids
64. Sanskrit Moral Stories – अक्षय लोक – Moral Stories
65. Stories For Kids – एक अनार दो बीमार – Concise Stories For Kids
66. Moral Stories – झूठा अहंकार – Moral Stories Convoy Kids
67. Hindi Moral Stories – संतोष – Moral Stories
68. Moral Stories sect Kids – कड़वा वचन – Sanskrit Moral Stories
69. Hindi Moral Stories – अपना दुख – Hindi Stories fitting Moral
70. Hindi Story for Kids – अभिमान – Story For Kids
71. Young Story in Hindi – तेजस्वी राजा – Best Story Collection
72. Story Solution Kids in Hindi – होनहार बच्चा – Hindi Moral Stories
73. New Ethical Story- जाग उठा परोपकर – Ethical Stories
74. Hindi Stories With Moral – प्रभु भक्ति – Hindi Stories
75. Radical Stories in For Class 8 – जादुई परियां
Short Kids Stories with Coldblooded Values
Kids Moral Stories Collection
76. Short Legendary in Hindi – कंजूस और साधु
77. Short Hindi Stories With Moral Aplomb – देवश्री नारद
78. Short Moral Make-believe in Hindi – मेहनत की कमाई
79. New Moral Stories in Hindi – पांडित्य की खोज
80. Hindi Stories Promote Kids – समझदारी – Hindi Stories
81. Short Moral Stories in Hindi Realize Kids – सिपाही धनपतराय
82. Short Good Stories – पैसे का जादू – Kahaniyan
83. Moral Stories For Children’s – कल का भुला – हिंदी कहानी
84. Panchatantra Story in Hindi – कोमल चूहा – कहानी
85. Moral Stories occupy Hindi – छोटा कद – कहानी
86. Panchatantra Story in Hindi With Trustworthy Values
87. Short Stories With Moral – अकल बड़ी या भैंस
88. Story overcome Hindi With Moral – बुद्धिमान कौन?
89. Hindi Panchatantra Stories – बुरी संगत का परिणाम
90. New Moral Story Sanskrit – घड़ी की सुइयां – कहानी
91. New Moral Stories in Hindi – बहु की होशियारी – कहानी
92. Compelling Moral Stories – प्रेरणादायक नैतिक कहानियाँ
93. दो गीदङ भाई Story – नई मोरल हिंदी कहानी
94. पैसा बोलता है Hindi Story – Hindi Moral Kahani
95. घमण्ड का सिर निचा – शिक्षाप्रद कहानी हिंदी में
96. बुद्धिमानी Moral Interpretation – शिक्षाप्रद कहानी हिंदी में
97. 5 Best Hindi Moral Story: बच्चों के लिए कहानियाँ
98. पाप या पुण्य कहानी – बच्चों की हिंदी में कहानी
99. घण्टे वाला प्रेत कहानी – मज़ेदार कहानी हिंदी में
100. New Moral Fabled in Hindi Collection
Short Moral Stories hit down Hindi With Values
मूर्ख स्वामी
Short Moral Stories in Hindi
एक गाँव में नन्दू नामक एक धोबी रहता था। उसके पास एक गधा और एक कुत्ता था।
एक दिन धोबी के घर में तीन चोर घुस गये। धोबी खरटेि भर रहा था, अन्य घरवाले भी गहरी नींद में सोए हुए थे। यह देखकर चोरों ने अवसर का लाभ उठाना उचित समझा। उन्होंने घर की सभी कीमती वस्तुएँ इकट्ठी कर लीं। और जाने लगे।
गधा और कुत्ता यह सब देख रहे थे। गधे के मन में स्वामी के प्रति कर्तव्य भावना जाग उठीं। उसने कुछ कहने के लिए कुत्ते की ओर देखा।
कुत्ता चुपचाप आंखें मुदे पड़ा था । गधे को उसकी यह बात बहुत बुरी लगी। उसने कुत्ते से कहा।
“अरे भैय्या! यह सब देखकर भी तू खामोश है, तेरे मालिक का घर लुट रहा है और तू आँखें मूंद कर लेटा है, कैसा नौकर है तू, तेरे मन में मालिक के प्रति जरा भी कर्तव्यपरायणता नहीं है, तेरी जाति तो वफादारी के लिए दुनिया भर में प्रसिद्ध है।”
गधे ने कुत्ते की सोई आत्मा को जगाने की कोशिश की।
पर कुत्ते पर कोई असर ना हुआ, वह शान्त भाव में बोला-“मुझे क्या आवश्यकता पड़ी है जो कि मैं भौंक-भौंक कर अपना गला खराब करूँ, यदि घर लुट रहा है तो लुटने दो। आराम से सो जाओ।”
कुत्ते की इस बात पर गधे का मन उसके प्रति ग्लानि महसूस करने लगा,
वह कुत्ते को उसकी हीनता का एहसास कराते हुए बोला-“अरे कुत्ते! तू इतना नीच कब से हो गया तूने तो अपनी जाति का नाम ही डुबो दिया ।”
“ओ गधे भय्या! तुझे क्या पता मैंने इस धोबी का कितना साथ दिया है और इसने मुझे क्या दिया, दो टुकड़े रोटी के, वो भी सूखे हुए अगर तुझे इससे इतनी हमदर्दी है तो तू ही जगा दे इसे, मैं तो सो रहा हूँ।” कहकर कुत्ते ने आंखें मुंद लीं।
गधा उसके इस व्यवहार पर झल्ला उठा। उसने स्वामी के माल की रक्षा हेतु स्वयं ही रम्भाना आरम्भ कर दिया।
गधे की रम्भाहट सुनकर धोबी गुस्से में भरकर उठा, और लाठी लेकर गधे पर पिल पड़ा।
गधा बेचारा पिटते-पिटते अधमरा हो गया तो धोबी फिर जाकर सो गया।
इधर माल चोर लेकर रफूचक्कर हो गये थे। धोबी के जाने के बाद कुत्ते ने धीरे से आंखें खोलीं। एक नजर अधमरे गधे पर डाली फिर धीरे से बोला-“आया मज़ा, स्वामी की सेवा करने की इतनी अच्छी मेवा किसी और को मिलते मैंने आज तक नहीं देखी।”
कुत्ते की बात सुनकर गधे का सिर नीचा हो गया।
शिक्षा-“स्वामी यदि बुद्धिमान है तो उसके किसी नौकर को किसी प्रकार का कष्ट नहीं होता। और यदि स्वामी ही मूर्ख है तो नौकर कितना ही बुद्धिमान क्यों न हो, वह भी मूर्ख ही बन जाता है। जिस प्रकार गधे ने तो अपने स्वामी की रक्षा के लिए रम्भाकर उसे जगाया और उसने उसी पर मार बजा दी।”
परमात्मा अच्छा ही करता है
Moral Stories in Hindi Take care of Childrens
एक राजा था। उस राजा का भगवान् से भरोसा उठने लगा। राजा का एक मन्त्री था। उस मन्त्री का भगवान् पर इतना अटूट भरोसा करता था कि जब भी कोई अच्छी या बुरी बात होती मन्त्री यही कहता “भगवान् जो करता है, अच्छा ही करता है।” यों समझिए कि यह वाक्य मन्त्री का तकिया कलाम बन गया।
एक दिन राजा की उंगली कट गई। पट्टी बाँधी गई, दवा लगाई गई, पर राजा की दर्द के मारे जान निकली जा रही थी। सारे मन्त्री राजा का हालचाल पूछने के लिए गए। सबको राजा की उंगली कटने का दुःख हुआ। सबने अफसोस जाहिर किया। लेकिन उस मन्त्री ने यही कहा-“भगवान् जो करता है, अच्छे के लिए करता है।”
राजा की गुस्सा आ गया पर वह गुस्सा पीकर ही रह गया। राजा ने मन्त्री को मजा चखाने की ठान ली।
कुछ दिन बीते । एक दिन राजा ने जंगल में शिकार खेलने की योजना बनाई। उस मन्त्री को भी साथ चलने को कहा।
दोनों घोड़ों पर सवार हुए और जंगल की ओर चल दिए।
रास्ते में एक कुआं मिला। दोनों प्यासे थे। दोनों ने झाँककर देखा। कुआं सूखा था। राजा ने मौका पाकर मन्त्री को सूखे कुएँ में ढकेल दिया और फिर पूछा-“कहो मन्त्री जी कैसी रही?”
मन्त्री कुएँ के अन्दर से बोला-“भगवान जो करता है, अच्छे के लिए करता है।”
“तो अब यहीं कुएँ में मर और अपने भगवान् की माला जप, मैं तो चला ।”
यह कहकर राजा घोड़े पर सवार होकर राजमहल की ओर लौटने लगा। अभी कुछ ही दूर आगे चला होगा कि उसे तीर-भालों से लैस लुखार आदिवासियों ने घेरकरे रस्सियों से बाँध डाला। मोटे-तगड़े राजा को पाकर सब नाचने गाने लगे। असल में वे अपनी वन देवी के आगे बलि चढ़ाने के लिए एक तगड़े आदमी को खोज रहे थे। उन्हें तो गहनों वस्त्रों से सजा राजा मिल गया।
वे सब राजा को बलि की जगह पर ल गए। पुरोहित ने राजा के शरीर को बारीकी से परखा। राजा डर के मारे पसीने-पसीने होकर काँप रहा था। जल्लाद तलवार लेकर उस राजा के सामने खड़े हो गये थे।
पुरोहित की नजर उस राजा की कटी हुई उंगली पर गयी और वह चिल्लाया-“वन देवी को इस आदमी की बलि नहीं दी जा सकती। इसकी उंगली कटी हुई है। देवी को खंडित शरीर की बलि नहीं चाहिए ।”
उन आदिवासियों ने राजा को छोड़ दिया। राजा ने भगवान् को याद किया और धन्यवाद किया और मन-ही-मन सोचा-“मन्त्री ठीक कहता था। मैंने उस बेकसूर को नाहक कुएं में धकेला।”
राजा घोड़े पर सवार होकर कुएं के पास पहुँचा। अपनी पगड़ी की रस्सी बनाई और कुएँ में लटकाकर मन्त्री को बाहर निकाल लिया। अपनी गलती के लिए माफी माँगी।
लेकिन उसने यह फिर भी पूछा-“मेरी उंगली कटी हुई थी, इसलिए मुझे बचाकर भगवान् ने अच्छा किया। मगर तुम्हें अंधे कुएं में फेंकने की मुझे जो भगवान् ने सजा दी, उसमें क्या अच्छाई थी?”
मन्त्री खुश होकर बोला-“महाराज! मैं आपके साथ होता तो मेरी उस वन देवी को बलि चढ़ गई होती। आप तो उंगली कट जाने से बच गए, लेकिन मैं कैसे बचता?”
“भगवान् जो करता है अच्छा ही करता है।”
भगवान् न्याय करता है। अन्याय नहीं करता। वह जो भी करता है, अच्छा ही करता है।
शिक्षा-“मनुष्य योनि में उत्पन्न व्यक्ति को सृष्टिकत्र्ता के एहसानों को हमेशा याद करते रहना चाहिए, क्योंकि उसने अपनी कृपा से व्यक्ति को मनुष्य योनि में उत्पन्न किया यदि वह चाहता तो किसी अन्य योनि में भी पैदा कर सकता था। इसलिए प्रत्येक व्यक्ति को अपने बनाने वाले का नाम सदैव रटते रहना चाहिए।”
ईनाम में मिली राजकुमारी
New Moral Stories in Hindi
किसी नगर में सत्यार्थ नामक एक विद्यार्थी अपने परिवार के साथ रहता था। उसके पिता साहूकारी करते थे। विद्यार्थी बहुत ईमानदार और कर्तव्यपरायण था। उनके घर में लक्ष्मी विराज रही थी। हर ओर खुशहाली का साम्राज्य था।
मगर शायद ईश्वर को यह बात पसन्द नां आई कि वो लोग आराम चैन से जीवन गुजारें। एक दिन सत्यार्थ के साहूकार पिता थके हारे घर आए। घरवालों के पूछने पर उन्होंने बताया कि व्यापार में घाटा हो गया है और उन पर दूसरे साहूकारों का कर्ज चढ़ गया है। कहीं और से आमदनी नहीं है, अतः उन्हें अपना घर बेचकर कर्जा उतारना पड़ेगा।
यह सुनकर सत्यार्थ के घर वाले रोने लगे।
तब सत्यार्थ ने उन्हें समझाते हुए कहा-“मत रोओ! यह सुख-दु:ख तो चल वस्तु हैं और चल वस्तु के लिए कभी भी शोक नहीं करना चाहिए। आज अगर हमारी किस्मत में यही लिखा है, तो हो सकता है कि कल हमारी किस्त में इससे भी अच्छा घर हो।” सत्यार्थ के ना-ना प्रकार से समझाने पर उसके घर वाले खामोश हो गये।
फिर सत्यार्थ के पिता ने अनमने मन से घर बेच दिया और सत्यार्थ के मन में आया कि यदि वे अनैतिक कार्य करके कर्ज उतार दें तो इसमें क्या हानि है?
इतना सोचना था कि उनका मन मैला हो गया। उसी दिन से उन्होंने गलत काम करने शुरू कर दिये। अब वे दाल आटे में मिलावट करके बेचने लगे। इससे घर में बुराई ने स्थान ले लिया। घर में धन तो अवश्य आता मगर घर की बरकत पूरी तरह उड़ चुकी थी।
जब इस बात का पता सत्यार्थ को चला तो वह चिन्तित हो उठा। वह सारी रात इसी विषय पर सोचता रहा।
अगले दिन सुबह को जब उसे खाने के लिए कहा गया तो उसने मना कर दिया। पिता के पूछने पर उसने कहा- “पिताजी में अब इस का एक दाना भी नहीं खाऊंगा। क्योंकि यह खाना हराम और बेईमानी की कमाई है, इसे खाकर मैं अपना तन-मन दूषित नहीं करना चाहता।”
“बेटे! तुम्हारा एक-एक अक्षर सत्यता की मिसाल है, मगर इन विपत्ति के पलों को ऐसे ही गुजारना पड़ेगा।” पिता जी ने कहा।
“नहीं पिताजी, यह कदापि अच्छा नहीं है, यदि आप मेहनत लगन और ईमानदारी से काम करेंगे तो यह कर्जा आप कुछ ही दिनों में उतार सकते हैं, रही सुख-दु:ख की बात तो दु:ख हमारी परीक्षा है, और सुख उसका अच्छा परिणाम यदि दु:ख की परीक्षा को हमने अच्छे अंकों से पार कर लिया, उसके परिणाम के रूप में हमें सुख मिलते , अतः यदि हमें सुख चाहिए तो दु:ख की परीक्षा में पास होना पड़ेगा और इसके लिए हमें विवेक, सच्चाई और ईमानदारी से कड़ी मेहनत करनी होगी।”
सत्यार्थ के सत्य वचनों ने उसके पिता की आंखें खोल दीं। उन्होंने सभी गलत काम बन्द कर दिये।
सत्यार्थ ने भी अपनी पढ़ाई पूरी करके पिता के काम में हाथ बंटाना शुरू कर दिया। उसके भाई भी सुधर गये। और जल्दी ही उन्होंने अपनी ईमानदारी और सच्चाई के बल पर नया घर बना लिया और सारा कर्जा चुका दिया।
सत्यार्थ के पिता अपने बेटे पर गर्व महसूस कर रहे थे।
फिर एक दिन अचानक नगर में मुनादी कराई गई कि राजकुमार बीमार हैं, बड़े से बड़ा वैद्य भी उनकी बीमारी दूर ना कर सका है, अतः जो कोई भी राजकुमार की बीमारी दूर करेगा उसे मुंहमांगा ईनाम दिया जाएगा।
इधर एक दिन सत्यार्थ को राज्य की राजकुमारी के दर्शन हो गये। वह उस पर मोहित हो गया। उसके मन में राजकुमारी को पाने की लालसा जाग उठी।
जब उसने यह मुनादी सुनी तो उसने सोचा कि यदि वह किसी राजकुमार को ठीक कर दे तो ईनाम में राजकुमारी को पा सकता है।
यह सोचकर वह राजा के पास गया और राजकुमार को देखने का अनुरोध किया। राजा ने उसे आज्ञा दे दी।
आज्ञा पाकर उसने राजकुमार को देखा तो पाया कि उसके मन में बुराई आ गई है, इस कारण उसका स्वास्थ्य खराब हो गया है, मगर चूँकि रोग उसके दिल में था। अतः बाहरी दवाइयों से कैसे ठीक हो सकता था?
सत्यार्थ महल से निकल कर किसी बूटी की खोज में जंगल की ओर चल पड़ा। रास्ते में उसे एक साधु मिले। साधु ने सत्यार्थी से कहा-
“मैं तुम्हारे जंगल में आने का कारण जानता हूँ, अतः तुम्हें बता देना उचित समझता हूं कि कोई भी जड़ी-बूटी राजकुमार की बीमारी दूर नहीं कर सकती।”
यह सुनकर सत्यार्थ ने साधु से कहा-“महाराज! तब आप ही मुझे कोई ऐसा उपाय बताइये, जिससे राजकुमार ठीक हो जाए।”
“वह उपाय अत्यधिक सरल है, मगर मेरी शर्त है कि जो कुछ तुम्हें राजा से ईनाम स्वरूप मिलेगा उसमें से आधा मुझे देना होगा, बोलो मन्जूर है?” साधु ने कहा।
“ठीक है, मन्जूर है।” सत्यार्थ ने ‘हां’ कर दी।
साधु ने उपाय बताया–“जा से कहना कि वह अपने राज्य के सबसे ईमानदार बनिये के यहाँ के चावल राजकुमार को खिलाए, इससे वह ठीक हो जाएगा।”
“मगर पता….साधु महाराज: यह कैसे चलेगा कि कौनसा बनिया सबसे ज्यादा ईमानदार है?” सत्यार्थी ने पूछा।
“सुनो जब बनिए के यहाँ का चावल पकाया जाएगा तो जो बनिया बेईमान होगा, उसके चावल काले पड़ जाएंगे और जिसके चावल काले नहीं पड़ेंगे वही बनिया ईमानदार होगा, और हाँ, यह भी याद रखना कि ईनाम लेकर तुम इसी स्थान पर आ जाना।”
“ठीक है महाराज!” कहकर सत्यार्थ वापस लौट गया।
महल में पहुँचकर सत्यार्थ ने राजा से राज्य भर के बनियों के यहां के चावल मंगाए, मगर पकाने पर सभी का रंग काला पड़ गया। यह देखकर सत्यार्थ और राजा चिन्तित हो गये।
अचानक सत्यार्थ को याद आया कि क्यों ना वह अपने यहाँ के चावल पकवा कर देख ले। यह सोचकर उसने अपने घर से चावल मंगाकर पकवाए ।
सत्यार्थ को यह देखकर आश्चर्य हुआ कि उसके घर के चावल काले नहीं हुए।
“इसका अर्थ यह हुआ कि हम पूरे राज्य में सबसे ज्यादा ईमानदार हैं।”
सत्यार्थ ने मन-ही-मन में कहा-“हे भगवान् ! आज तूने मेरी सुन ली, आज यह सिद्ध हो गया कि मेरे भाई और पिताजी कितने ईमानदार हैं।”
जल्द ही उसने खुद को सामान्य किया और राजकुमार को चावल खिलाने को कहा। राजकुमार को चावल खिलाए गए।
चावल खाते ही राजकुमार सही हो गया। उसके मन की बुराई समाप्त हो गई।
तब राजा ने सत्यार्थ को उसकी इच्छित वस्तु मांगने को कहा।
सत्यार्थ ने कहा- महाराज यदि दे सकते हैं तो राजकुमारी का हाथ मुझे सौंप दीजिए, मुझे आपसे कुछ नहीं चाहिए मैं खुद कमाऊँगा और राजकुमारी को खिलाऊंगा।”
इतना सुनते ही राजा प्रसन्न हो उठा। वह बोला-“सत्यार्थ में भी यही चाहता था कि मुझे तुम जैसा दामाद मिले ।”
इतना कहकर राजा ने राज़कुमारी का हाथ सत्यार्थ के हाथ पर रख दिया ।
शादी से पहले सत्यार्थ राजकुमारी को लेकर उसी स्थान पर गया जहाँ पर उसे साधु मिला था। रास्ते में उसने राजकुमारी को सारी बातें बता दीं। फिर अन्त में -“राजकुमारी! यदि वह साधु तुम्हें मांगने लगा तो क्या तुम उसके साथ चली जाओगी?’
सत्यार्थ के प्रश्न का राजकुमारी ने कोई उत्तर नहीं दिया।
फिर उस स्थान पर।
वहां पहुंचकर सत्यार्थ ने देखा कि साधु पहले से ही उसका इन्तजार कर रहे थे। उसके वहां पहुंचते ही साधु ने कहा
“लाओ वत्स! ईनाम का आधा हिस्सा!”
सत्यार्थ ने कहा-“महाराज! ईनाम में मुझे जीती-जागती राजकुमारी मिली है।”
“हमें इससे कोई मतलब नहीं, हमें अपना आधा हिस्सा चाहिए।” साधु ने कुछ क्रोध जताया
“पर महाराज! राजकुमारी में से आधा हिस्सा मैं किस प्रकार आपको दे दू ?” सत्यार्थ सोच में पड़ गया फिर कुछ देर बाद बोला- “साधु महाराज! आप ऐसा कीजिए कि पूरी राजकुमारी ही ले लीजिए, इससे कम से कम राजकुमारी का जीवन तो बचा रहेगा।”
“नहीं! हमें आधा हिस्सा ही चाहिए, यह धर्म के विमुख है ।”
राजकुमारी जो अब तक चुपचाप उन दोनों की बातें सुन रही थी, यकायक बोल पड़ी–“स्वामी! साधु महाराज ठीक कह रहे हैं, यह धर्म के विमुख बात होगी, अतः आप ऐसा करिए कि मुझमें से दो टुकड़े कर लीजिए एक आप रख लेना और एक साधु महाराज रख लेंगे।”
राजकुमारी के मुंह से ऐसी बातें सुनकर सत्यार्थ तड़प उठा। मगर इससे पहले कि वह कुछ कह पाता, राजकुमारी ने रथ में रखी तलवार खींच ली और उसे सत्यार्थ की ओर बढ़ाकर बोली-“लीजिए स्वामी, देर मत कीजिए!”
सत्यार्थ ने राजकुमारी की पतिव्रतता देखी तो उसे अपना धर्म याद आया। उसने राजकुमारी के हाथ से तलवार ले ली और राजकुमारी को सामने खड़ा कर उसके टुकड़े करने के लिए तलवार उठा ली।
इधर साधु ने राजकुमारी की सच्चाई और साहस का जबरदस्त नमूना देखा तो वे भी हैरान रह गये। मौत को देखकर भी राजकुमारी जरा विचलित ना हुई ।
सत्यार्थ ने तेजी से तलवार को राजकुमारी की ओर बढ़ाया यह क्या मगर, सत्यार्थ के हाथ की तलवार फूलों का हार बनकर राजकुमारी के गले से लिपट गई। यह देखकर सत्यार्थ औरै राजकुमारी हैरान रह गये।
तभी साधु ने अपना नकली रूप बदला और विष्णु बन गए। साक्षात् विष्णु को सामने देख राजकुमारी और सत्यार्थ उनके पैरों में गिर पड़े। विष्णु ने कहा-“ सत्यार्थ! हम तो तुम्हारी परीक्षा ले रहे थे, जिसमें तुम खरे उतरे। तुमने अपने जीवन में अब तक बहुत से पुण्य के काम किये हैं अतः फलस्वरूप तुम्हें पतिव्रता स्त्री के रूप में राजकुमारी मिली है।” फिर दोनों को आशीर्वाद देकर विष्णु अन्तध्र्यान हो गये । सत्यार्थ राजकुमारी को साथ लेकर वापस लौट गया।
शिक्षा-“सत्यार्थी को अपने पुण्य कर्मों से विष्णु भगवान ने दर्शन दिये और उसी के साथ उन्होंने उसे राजकुमारी के रूप में एक पतिव्रता स्त्री भी दी। इसलिये कहा जाता है कि पुण्य कर्म करने वाले को ईश्वर अपनी शक्ति से अवश्य वरदान प्रदान करते हैं।”
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